Tuesday, May 25, 2021

पर्यावरण का मसीहा- बाबा सुंदर लाल बहुगुणा

जिनकी कहानी मिट्टी से शुरू हुई थी, आज वह खुद मिट्टी में विलीन हो चुके हैं। आजादी के लिए, गरीबी हटाने के लिए, समाज सुधारने के लिए तो हर कोई आंदोलन करता है। लेकिन, ऐसे बहुत कम होते हैं, जो प्रकृति को सुरक्षित करने के लिए आंदोलन खड़ा कर देते हैं। सुंदर लाल बहुगुणा उन्हीं कुछ लोगों में से एक थे। गाँधी जी के पक्के अनुयायी सुंदरलाल के जीवन का एकमात्र लक्ष्य था पर्यावरण की सुरक्षा करना। उनका जन्म 9 जनवरी 1927 को उत्तराखंड के टिहरी में हुआ था। सुंदरलाल ने 13 वर्ष की उम्र में राजनीतिक करियर शुरू किया था। 1956 में अपनी शादी के बाद, राजनीतिक जीवन से उन्होंने संन्यास ले लिया। उसके बाद वह गाँव में ही बस गए। बाद में, उन्होंने आसपास के इलाके में शराब के खिलाफ मोर्चा खोला। 1960 के दशक में उन्होंने अपना ध्यान वन और पेड़ की सुरक्षा पर केंद्रित किया। हिमालय के रक्षक सुंदरलाल बहुगुणा की सबसे बड़ी उपलब्धि चिपको आंदोलन थी। 1970 का वह साल था, जब पर्यावरण सुरक्षा को लेकर आंदोलन पूरे देश में जोर-शोर से फैला हुआ था। चिपको आंदोलन भी उसी का एक हिस्सा था। इस आंदोलन की कहानी तो हम सब जानते हैं, पर इसके पीछे के चेहरे और प्रेरणा को बहुत कम लोग पहचानते होंगे। आज वह प्रेरणा भी चली गयी, लेकिन एक यही आशा है कि उनकी जलाई पर्यावरण संरक्षण की लौ सदा जलती रहेगी। #warehouse mind की ओर से भावभीनी श्रद्धांजलि 🙏🙏

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