Thursday, October 15, 2020

विज्ञान वरदान या कुछ और......

आज के भौतिक परिवेश में हम सब सभी तरह से विज्ञान पर ही तो निर्भर है,चाहें चिकित्सा हो स्कूली शिक्षा हो,बैंकिंग या देश की सुरक्षा के लिये इसी विज्ञान के ही तो सहारे है ,विज्ञान हमारे हर पथ पर एक साथी की तरह साथ रहता है।
आज से कुछ दशक पहले तक तो हम सब ने कल्पना की थी कि एक ऐसा यंत्र भी होगा जिससे हम जब चाहे किसी भी अपने प्रिय जन से बात के ले, भले ही यह एक कल्पना थी।
 लेकिन आज वो कल्पना हकीकत में साकार हुई।हम सब जब चाहे जिससे चाहे अपने सुख दुःख अपनो से बाँट सकते हैं।
चिकित्सा के क्षेत्र में हमने बहुत तरक्की की असाध्य रोग भी आज सही हो जाते है जिसमे पहले सिर्फ मृत्यु ही होना निश्चित था।
घातक बीमारियों का इलाज भी आज संभव हो सका है तो सिर्फ विज्ञान ही तो है जिसमे हम तुरंत बीमारी का पता लगाकर उसे तुरंत निदान पा सकते हैं।आज कोरोना जैसी महामारी से पूरा समुदाय डर हुआ है ,शोध चल रहे है समय पर इसका भी इलाज संभव हो सकेगा।

*विज्ञान के दुष्प्रभाव:-
विज्ञान का एक पक्ष वरदान है तो एक पक्ष अभिशाप भी है। विज्ञान एक ऐसा साधन है जिससे असीम शक्ति प्राप्त की जा सकती है। मनुष्य जिस तरह से चाहता है उस तरह से इसका प्रयोग कर सकता है। सभी को पता है कि विज्ञान में दैवीय शक्ति के साथ-साथ असुरी शक्ति भी है।
विज्ञान से जहाँ मनुष्य के इतने लाभ (Benefit) हुए हैं और जीवन सभ्य (Civilised) तथा सहज (Easy) बन गया है, वहीं बन्दूक, बम, मिसाइल जहरीली गैसें आदि बनाकर मनुष्य को भारी नुकसान पहुँचाया है और भविष्य (Future) के प्रति भय भीत कर दिया है । आज पूरा संसार एटम बम के भय से काँप रहा है । प्रदूषण (Pollution) भी बढ़ा है और वायुमण्डल (Atmosphere) के ओजोनमंडल को भी नुकसान हुआ है
अंत मे यही कहा जा सकता है कि हर किसी चीज की अत्य खराब होती हैं।
जय हिंद।

No comments:

Post a Comment