Thursday, May 27, 2021

पैसों का बाज़ारीकरण।

 

किसी ने सच कहा है कि जब तक दुनिया में मुर्ख लोग हैं, होशियार लोग कभी भूखे नहीं मरेगें .........


खुद ही देख लीजिये


टॉयलेट धोने का हार्पिक अलग,बाथरूम धोने का अलग,

टॉयलेट की बदबू दूर करने के लिए खुशबु छोड़ने वाली टिकिया भी जरुरी है,


कपडे हाथ से धो रहे हो तो अलग वाशिंग पाउडर,

और मशीन से धो रहे हो तो खास तरह का पाउडर, 

नहीं तो तुम्हारी 20,000 की मशीन एक बाल्टी से ज्यादा कुछ नहीं,और हाँ कॉलर का मैल हटाने का वेनिश तो घर में होगा ही,


हाथ धोने के लिए नहाने वाला साबुन तो दूर की बात, 

एंटीसेप्टिक सोप भी काम में नहीं ले सकते,

लिक्विड ही यूज करो, साबुन से कीटाणु ट्रांसफर होते है(ये तो वो ही बात हो गई कि कीड़े मारनेवाली दवा में कीड़े पड़ गए),


बाल धोने के लिए शैम्पू ही पर्याप्त नहीं , कंडीशनर भी जरुरी है,फिर बॉडी लोशन,फेस वाश, डियोड्रेंट, हेयर जेल,सनस्क्रीन क्रीम,स्क्रब,गोरा बनाने वाली क्रीम काम में लेना अनिवार्य है ही..


और हाँ दूध ( जो खुद शक्तिवर्धक है) की शक्ति बढाने के लिए हॉर्लिक्स मिलाना तो भूले नहीं न आप...मुन्ने का हॉर्लिक्स अलग, मुन्ने की मम्मी का अलग,और मुन्ने के पापा का अलग,


साँस की बदबू दूर करने के लिये ब्रश करना ही पर्याप्त नहीं,

माउथ वाश से कुल्ले करना भी जरुरी है,अरे ये क्या आपका टीवी अभी भी वही पुराना स्टाइल यानी डिब्बा, 

अब तो 36 इंच का LCD तो लेना बनता ही है...


आज से मात्र कुछ वर्षों पहले तक ना तो किसी के घर में टीवी था ना वाशिंग मशीन, ना फ्रिज था ना AC और ना ही RO , और अब तो हवा साफ करने के लिए एयर प्यूरीफायर आ गए हैं वो तो लिया ही नहीं ।


ये मात्र कुछ चीजों के उदाहरण दिए हैं, ऐसे ही और क्या क्या आप फालतू का इस्तेमाल कर रहे हैं आप खुद ही सोच लीजिये......


तो श्रीमान मुस्सदीलाल जी,

15-20 साल पहले जिस घर का खर्च 10 हज़ार में आसानी से चल जाता था आज उसी का बजट 40 हजार को पार कर गया है तो उसमें सारा दोष महंगाई का ही नहीं है, तो कांग्रेस, या बीजेपी या मोदी जी को गाली देने से पहले थोडा इधर भी सोचो....


मजे की बात जो हरामखोर सेलेब्रेटी करोड़ो करोड़ो रूपये लेकर इन चीजों का टीवी पर प्रचार करते हैं वो खुद इन्हें कभी ईस्तेमाल नहीं करते ।


असल में हम लोग इन कंपनियों के लिए एक पैसा बनाने की मशीन बन गए हैं । इन चीजों की हमे कोई ज़रूरत नहीं होती है केवल इन कंपनियों की बेचने की चालों के चलते हम पागलों की तरह खर्चे बढ़ा रहे हैं और फिर गधे की तरह कमाने में लग रहे हैं।


घर मे एक आदमी की कमाई से अब काम नहीं चलता, इस लिए बीवी भी काम करेगी और बच्चे आया पालेगी । बच्चे थोड़े से बड़े हो गए तो वो भी काम पर लग गए । क्या यह पागलपन नहीं है ? क्यों जी रहे हैं आप, अपने लिए या इन कंपनियों के लिए ?


सोचिए और अपनी इन बेफजूल की खरीदारी को बंद कीजिए, और नहीं कर सकते तो ऐसे ही लगे रहिये सिर नीचे करके गधों की तरह पैसे कमाने में क्योंकि सामानों की लिस्ट बहुत लंबी है

 । जय हिंद

#warehouse mind

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